लालच का फल Hindi kahani
लालच का फल Hindi kahani भालू , शिकारी , गीदड़ एक दिन एक शिकारी वन में शिकार की खोज कर रहा था कुछ देर के बाद उसने एक भयंकर भालू को अपनी ओर बढ़ता हुआ देखा शिकारी ने सावधान होकर अपने धनुष बाण से भालू का निशाना साधा पास आने पर उसने भालू पर बाण चला दिया बाण भालू के शरीर में घुस गया इस प्रकार से भालू का क्रोध बढ़ गया घायल होते हुए भी उसने शिकारी को दूसरा बाण चलाने से पहले ही दबोच लिया उसने अपने तेज नाखूनों से शिकारी का पेट फाड़ डाला शिकारी वहीं गिर कर ढेर हो गया पर भालू भी ना बच सका कुछ देर के बाद वहीं उसने भी प्राण छोड़ दिए।

इसी समय एक गीदड़ उधर आ निकला वह बड़ा लोभी था भालू तथा शिकारी को मरा देखकर वह बड़ा प्रसन्न हुआ उसने सोचा कि आज तो मुझे कहीं दिन का भोजन मिल गया है अब निश्चित हो इसे खाकर मौज कर लूंगा उसे भूख लगी थी उसने विचार किया कि आज तो धनुष की डांट खाकर ही भूख शांत करता हूं कल से मनुष्य और भालू का स्वादिष्ट मांस खाने को मिलेगा ही।
इसलिए उसने पास पड़े धनुष की दांत से बनी डोरी को एक सिरे से चलाना शुरु किया अभी कुछ देर ही हुई थी की गांठ कट गई और झटके के साथ धनुष की लोहे की नुकीली कमान गीदड़ के मुंह में घुस गई लालची गीदड़ वहीं गिर पड़ा और चटपटा कर वहीं उसने अपने प्राण त्याग दिए।
भालू , शिकारी , गीदड़ की कहानी से शिक्षा तो बच्चों इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए लालच करने का परिणाम बहुत ही गलत और हानिकारक होता है। यदि गीदड़ ने लालच न किया होता तो वो
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