किसी शिकारी ने एक तीतर पकड़ा। जब शिकारी तीतर को मारने लगा तो उसने कहा- स्वामी, मुझे न मारिए।
इस उपकार के बदले, मैं सौ तीतर पकड़ने में आपकी सहायता करूँगा।”
इस पर शिकारी ने कहा-“ अगर ऐसी बात है तब तो मैं तुझे बिल्कुल नहीं छोड़ूँगा, क्योंकि तुम परले दरजे के स्वार्थी और खतरनाक हो।
अपनी जान बचाने के लिए तुम अपने सौ भाइयों को मौत के घाट उतारने को तैयार हो! मैं तुम पर भरोसा नहीं कर सकता।
शिक्षा-स्वार्थी पर भरोसा करना बुद्धिमानी नहीं है। वह कभी भी स्वार्थवश हानि पहुँचा सकता है।